1 उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
2 और दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतेंर भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
3 रंजिश ए दिल ही दुखाने के लिए आ
प्यार से मझे छोड़ के जाने के लिए आ
4 उसकी याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
् इश्क ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
Comments
Post a Comment